ये घर भी बड़ी अजीब चीज़ है .... क्या नहीं कर जाता है इंसान इसके लिए। अच्छा बुरा, सही गलत, सीधा टेढ़ा … सब कुछ। अब सड़क के उस पार से डिवाइडर पार करते स्कूटर / मोटरसाइकिल वालों को ही देख लीजिए। नॉएडा के महामाया फ्लाईओवर की बात है ये - आपके मेरे अगल बगल की। अब नॉएडा वाले अनोखे तो हैं नहीं, मुझे विश्वास है ये और जगह भी होता ही होगा।
सीधी तरफ जाम लगा है.… हनुमान जी की पूँछ की तरह - लम्बी, अंतहीन। दूसरी तरफ लगभग खाली सड़क पर निकलते वाहनों की तेज़ी ने लालच भर दिया .... घर जल्दी पहुँचने का लालच। बस भूल गए सही और गलत। उतार दी गाड़ी उलटे तरफ और चल पड़े। घर जल्दी पहुंचना है सबको। किसी की माँ, किसी की पत्नी, किसी का छोटा भाई, किसी की प्यारी बिटिया राह देख रही है। बेटा आएगा तो दवा मंगवाऊँगी , वो सब्जी लाएंगे तब तो खाना पकेगा, पापा आएंगे तो घूमने जाऊँगी - सबकी अपनी वजह है इंतज़ार की... और यह वजह है इनके घर जल्दी पहुँचने के प्रलोभन की।
तो कहाँ थी मैं - हाँ , डिवाइडर पार करते स्कूटर / मोटरसाइकिल वालों की बातें कर रहे थे हम। घर जल्दी जाना है इन्हे। पर क्या यह घर पहुँच पाएंगे ? उलटी तरफ से तेज़ गति में आते किसी गाड़ी ने, भगवान न करे, टक्कर मार दी तो ? इन्हे कुछ हो गया तो? घर पर इंतज़ार कर रहा इनका परिवार ...क्या होगा उनका? माँ की तो जान ही निकल जाएगी बेटे को ऐसे देख कर। बीवी ..... उसका क्या होगा ये तो सोच के भी परे है। बच्चों को समझ नहीं आएगा .... पूछते रह जायेंगे पापा बोल क्यों नहीं रहे. कभी जान नहीं पाएंगे पापा की गलती क्या थी।
पर ये सब वो स्कूटर/ मोटरसाइकिल वाले नहीं सोचते। दिल दिमाग पर हावी जो होता है उस वक़्त। सोचने समझने की शक्ति क्षीण कर देता है। सही गलत में अंतर ख़त्म कर देता है।
दोस्तों , घर पहुंचना ज़रूरी है। जल्दी पहुँचने से ज्यादा जरूरी। घर वाले आधा घंटा इंतज़ार कर सकते हैं पर आपके बिना ज़िन्दगी बिताना बहुत मुश्किल होगा उनके लिए। वो अंग्रेजी में कहते हैं न - Better Late Than Never...बस वही याद रखिये। यातायात के नियम आपके लिए हैं - आपकी सुरक्षा के लिए - पालन करिये उनका। इससे आप घर जल्दी पहुंचेंगे या नहीं, ये तो नहीं पता....पर घर पहुंचेंगे ज़रूर - यह मेरी गारंटी है।