Friday, July 25, 2014

सावन और शिव

शिव भक्ति के नाम पर फ़िल्मी गाने पर नाचते - कूदते लोग, एक हाथ में पवित्र गंगा जल भरा कांवर और दूसरे हाथ में लाठियां और हॉकी स्टिक... बदन पर रंग बिरंगे टैटू ... सड़क पर सीटियां बजाते... सावन के पावन महीने में बाबा धाम की यात्रा की गरिमा और जलाभिषेक की महत्ता को खंडित करते लोग |

यह भक्ति नहीं, फूहड़ता है |

शिव तो भोले नाथ है.... भक्तों के भोलेपन पर रीझते है, दिखावे और शोर शराबे पर नहीं |

शिव की पूजा शिव ( सौम्य ) बन कर करें |

हर हर महादेव 

Wednesday, July 2, 2014

Better Late Than Never

ये घर भी बड़ी अजीब चीज़ है .... क्या नहीं कर जाता है इंसान इसके लिए।  अच्छा बुरा, सही गलत, सीधा टेढ़ा … सब कुछ। अब सड़क के उस पार से डिवाइडर पार करते स्कूटर / मोटरसाइकिल वालों को ही देख लीजिए।  नॉएडा के महामाया फ्लाईओवर की बात है ये - आपके मेरे अगल बगल की।  अब नॉएडा वाले अनोखे तो हैं नहीं, मुझे विश्वास है ये और जगह भी होता ही होगा।

सीधी तरफ जाम लगा है.… हनुमान जी की पूँछ की तरह - लम्बी, अंतहीन।  दूसरी तरफ लगभग खाली सड़क पर निकलते वाहनों की तेज़ी ने लालच भर दिया .... घर जल्दी पहुँचने का लालच।  बस भूल गए सही और गलत। उतार दी गाड़ी उलटे तरफ और चल पड़े। घर जल्दी पहुंचना है सबको। किसी की माँ, किसी की पत्नी, किसी का छोटा भाई,  किसी की प्यारी बिटिया राह देख रही है।  बेटा आएगा तो दवा मंगवाऊँगी , वो सब्जी लाएंगे तब तो खाना पकेगा, पापा आएंगे तो घूमने जाऊँगी  - सबकी अपनी वजह है इंतज़ार की... और यह वजह है इनके घर जल्दी  पहुँचने के प्रलोभन की।

तो कहाँ थी मैं - हाँ , डिवाइडर पार करते स्कूटर / मोटरसाइकिल वालों की बातें कर रहे थे हम।  घर जल्दी जाना है इन्हे। पर क्या यह घर पहुँच पाएंगे ? उलटी तरफ से तेज़ गति में आते किसी गाड़ी ने, भगवान न करे, टक्कर मार दी तो ? इन्हे कुछ हो गया तो? घर पर इंतज़ार कर रहा इनका परिवार ...क्या होगा उनका? माँ की तो जान ही निकल जाएगी बेटे को ऐसे देख कर।  बीवी ..... उसका  क्या होगा ये तो सोच के भी परे है।  बच्चों को समझ नहीं आएगा .... पूछते रह जायेंगे पापा बोल क्यों नहीं रहे. कभी जान नहीं पाएंगे पापा की गलती क्या थी।

पर ये सब वो स्कूटर/ मोटरसाइकिल वाले नहीं सोचते। दिल दिमाग पर हावी जो होता है उस वक़्त।  सोचने समझने की शक्ति क्षीण कर देता है।  सही गलत में अंतर ख़त्म  कर देता है।

दोस्तों , घर पहुंचना ज़रूरी है।  जल्दी पहुँचने से ज्यादा जरूरी।  घर वाले आधा घंटा इंतज़ार कर सकते हैं पर आपके बिना ज़िन्दगी बिताना बहुत मुश्किल होगा उनके लिए।  वो अंग्रेजी में कहते हैं न - Better Late Than Never...बस वही याद रखिये।  यातायात के नियम आपके लिए हैं - आपकी सुरक्षा के लिए - पालन करिये उनका। इससे आप घर जल्दी पहुंचेंगे या नहीं, ये तो नहीं पता....पर घर पहुंचेंगे ज़रूर - यह मेरी गारंटी है।  

Tuesday, July 1, 2014

Horn 'NOT OK' Please!

Driving on the Delhi roads, you are introduced to numerous weird, totally absurd and disgustingly interesting horns... one that sounds like an approaching train, a goods truck, a nearby metro, the one that sounds like a barking dog, a sheep, a cow and what not!

To make the matter worse, people honk them with utmost pride and all you want to do is open fire at them.

Honking is rude, forbidden..pressure horns illegal. Every car/scooter/bike will move ahead if the road is clear. Your constant honking will make no difference or give them wings.

Sudhar Jao! 

Monday, June 30, 2014

घर और मकान

उसने कहा - वह घर कितना अच्छा है न !

नज़र उठायी । सामने एक आलिशान दोमंजिली इमारत - सफ़ेद रंग - शान्ति का प्रतीक ... पर शांन्ति से कोसों दूर।  सुना है मैंने बेटों को झगड़ते अपने वृद्ध पिता से ... आपस में लड़ते ... और देखा है बहू  को सामान समेट कर जाते।  नहीं देखा है तो उनकी बिटिया को ...  सालों से ... माँ बाप का हाल पूछते ... राखी पर भाइयों से मिलते .... लाड़ करते .... इठलाते।

फिर उस ईंट गारे के गठन को घर कैसे बोलूँ !! मैंने तनिक सोच कर कहा - हाँ, वह मकान अच्छा है।


वह पीला अमलतास !!

ऑफिस के बाहर का
वह पीला अमलतास
सुनहरे फव्वारे की तरह
कितनी ज़िद की थी मैंने
कानों में पहनने की
तुम हँसे थे
और हँसते गए थे
मेरी सुनहरी बालियां देखकर
गाल भी थपका था.
आज भी हंसी गूंजी थी तुम्हारी
गाल पर छुअन भी महसूस हुई
जब गुज़री नीचे से
उसी पीले अमलतास के
जो तब भी था
जब तुम थे
जो अब भी है
जब तुम नहीं |